Goraiya Aur Bandar-Panchtantra
गौरैया और बन्दर-पंचतंत्र-The Sparrow and the Monkey Story In Hindi
किसी जंगल में एक घने वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ा-चिडी़ का एक जोड़ा रहता था। अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे।
सर्दियों का मौसम था। एक दिन बहुत तेज हेमन्त की ठंडी हवा चलने लगी और साथ में बूंदा-बांदी भी शुरु हो गई। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात से ठिठुरता हुआ उसी वृक्ष की एक शाखा पर आ बैठा।
ठंड के मारे उस बन्दर के दांत कटकटा रहे थे। उसे देखकर चिड़िया ने कहा----"अरे ! तुम कौन हो? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों सा लग रहा है; तुम्हारे तो हाथ-पैर भी हैं । फिर भी तुम यहाँ बैठे हो, घर बनाकर क्यों नहीं रहते ?"
बन्दर बोला ----"अरी ! तुम से चुप नहीं रहा जाता? तू अपना काम कर। मेरा उपहास क्यों करती हो तुम?"
चिड़िया फिर भी उससे कुछ कहती ही गई। वह चिढ़ गया। क्रोध में आकर उसने चिड़िया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला जिसमें चिड़ा-चिड़ी सुखी से रहते थे।
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किसी जंगल में एक घने वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ा-चिडी़ का एक जोड़ा रहता था। अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे।
सर्दियों का मौसम था। एक दिन बहुत तेज हेमन्त की ठंडी हवा चलने लगी और साथ में बूंदा-बांदी भी शुरु हो गई। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात से ठिठुरता हुआ उसी वृक्ष की एक शाखा पर आ बैठा।
ठंड के मारे उस बन्दर के दांत कटकटा रहे थे। उसे देखकर चिड़िया ने कहा----"अरे ! तुम कौन हो? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों सा लग रहा है; तुम्हारे तो हाथ-पैर भी हैं । फिर भी तुम यहाँ बैठे हो, घर बनाकर क्यों नहीं रहते ?"
बन्दर बोला ----"अरी ! तुम से चुप नहीं रहा जाता? तू अपना काम कर। मेरा उपहास क्यों करती हो तुम?"
चिड़िया फिर भी उससे कुछ कहती ही गई। वह चिढ़ गया। क्रोध में आकर उसने चिड़िया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला जिसमें चिड़ा-चिड़ी सुखी से रहते थे।
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किसी को उपदेश नहीं देना चाहिये। बुद्धिमान् को दी हुई शिक्षा का ही फल होता है, मूर्ख को दी हुई शिक्षा का फल कई बार उल्टा निकल आता है।
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