पोस्ट कोविड सिंड्रोम के लक्षणों से घबराएं नहीं
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पोस्ट कोविड सिंड्रोम के लक्षणों से घबराएं नहीं |
कोरोना संक्रमण से नेगेटिव होने के बाद भी मरीज के शरीर में
हुआ डैमेज आमतौर पर पूरी तरह रिकवर होने में 3 महीने का समय लग जाता है, इस पीरियड को
पोस्ट कोविड कहा जाता है, लेकिन कई मरीजों को रिकवर होने में 9 महीने भी
लग सकते हैं, इसे
लॉन्ग कोविड कहते हैं। कोरोना से रिकवर मरीजों में कई तरह की बीमारियों का भी खतरा
रहता है, जिसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहा जा रहा है।
खासकर, 50 प्रतिशत गंभीर मरीजों को रिकवर होने के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ होने और
रेस्परेटरी रिहेबलीटेशन में लंबा समय लगता है। ऑक्सीजन की कमी होने से हाइपोक्सिया और
लंग्स फाइब्रोसिस हो सकता है। ऐसे मरीजों को रेस्परेटरी रिहेबलिटेशन और मल्टी डिस्पलनरी एप्रोच
की जरूरत पड़ती है, जिसमें घर में चिकित्सकीय निगरानी रखनी होती है और ऑक्सीजन थेरेपी
दी जाती है।
बने रह सकते हैं कई लक्षण
कोरोना वायरस सबसे पहले हमारी श्वसन तंत्र पर अटैक
करता है, जहां से आगे जाकर यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। वायरल इन्फेक्शन होने
के कारण शरीर के मल्टी सिस्टम प्रभावित हो सकते हैं। पोस्ट कोविड पीरियड में पाया
गया है कि मरीज में कोरोना के कई लक्षण बने रह सकते हैं और कई अन्य समस्याएं भी हो
सकती हैं जैसे - हल्का बुखार, थकावट, कमजोरी के कारण खड़े होने पर चक्कर आना
आदि खांसी, कफ, खांसी के साथ ऑक्सीजन लेवल कम होना या खांसी में ब्लड भी आ सकता है। सांस लेने में दिक्कत रहना, इसका सबसे सामान्य लक्षण है।
गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक प्रभावित होने पर मरीज को पेट में दर्द, उल्टी, लूज मोशन होते है। मरीज में मूड
स्विंग, डिप्रेशन, स्टेस, ब्रेन फॉग, डर जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं, जिसे पोस्ट कोविड साइकोसिस या कोविड
फोबिया कहा जाता है।
हो सकती हैं नींद संबंधी समस्याएं
कुछ मरीजों में नींद न आना, नींद जल्दी खुल जाना जैसी समस्याएं भी
होती हैं, पैनिक अटैक होना धड़कन बढ़ जाना, घबराहट की फीलिंग होना, टेस्ट और स्मेल वापस न आना, चेस्ट पैन जैसी समस्याएं भी मिल रही हैं।
कोविड उपचार में दिये जाने वाले स्टेरॉयड और वायरस संक्रमण की वजह से मरीजों का
ब्लड शूगर लेवल बढ़ रहा है, जिससे उन्हें म्यूकर माइकोसिस इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। ब्लड क्लॉटिंग से हार्ट
अटैक और ब्रेन स्ट्रोक होने की आशंका भी बनी रहती है।
आइसोलेशन फॉलोअप है जरूरी
रिकवर मरीजों को कम-से-कम एक से डेढ़ सप्ताह तक आइसोलेशन
में रहना चाहिए। डॉक्टर से रेगुलर चेकअप या फॉलोअप जरूर करना चाहिए। गंभीर बीमारी
के कारण कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों को 2 से 3 महीने रेगुलर फॉलोअप में रहना चाहिए।
हल्के बुखार से परेशान न हों मरीज
पोस्ट कोविड में बखार 3 महीने बाद नॉर्मल हो जाता है। मरीज को
हल्के बुखार से परेशान नहीं होना चाहिए। थर्मो-रेगुलेटरी डिस्फंक्शन की वजह से
वायरस ब्रेन के हाइपोथैलेस में पहुंच जाता है, जिससे मरीज के शरीर का तापमान 97.4 की जगह 98.4 डिग्री तक बढ़ जाता है, जो असल में बुखार
नहीं है, बुखार शरीर के तापमान के 100.4 डिग्री तक बढ़ने पर माना जाता है।
बैलेंस डायट और विटामिन सप्लीमेंट का साथ
अच्छी इम्युनिटी के लिए पौष्टिक और बैलेंस डायट बहुत जरूरी है। इन्फेक्शन से बचने के लिए खाली पेट नहीं रहना चाहिए और हाइड्रेट होना जरूरी है। मरीज सांस लेने में दिक्कत, खांसी जैसे कारणों की वजह से अपना खाना अच्छी तरह नहीं खा पाते, उन्हें समुचित अंतराल पर छोटा मील देना बेहतर है। इसमें प्रोटीन से भरपूर डायट लेनी चाहिए- उबला अंडा, दाल, दही, हल्दी वाला दूध, हाइ प्रोटीन डायट लेनी है, लो कार्बोहाइड्रेट और लो फैट वाली चीजें खानी चाहिए। जंक फूड और फास्ट फूड न ले। डॉक्टर की सलाह पर विटामिन सप्लीमेंट लेना जारी रख सकते हैं। नवर्स में होने वाली क्षति से बचने के लिए विटामिन बी-12 कैप्सूल रोजाना ले सकते हैं।
- रोजाना कम-से-कम 10 मिनट एक्सरसाइज करें।
- रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें, जो हार्मोनल मेटाबॉलिज्म को रिजेनरेट करने, एनर्जी लेवल और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है।
- रोजाना 5 तरह की फल व सब्जियों की पावर लें, इनका सेवन चाहे ब्रेकफासट, ब्रंच या स्नैक्स के तौर पर कभी भी कर सकते हैं।
- यानी रोजाना प्रोटीन से भरपूर पावर मील (ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, बेड टाइम या बंच टाइम में) का सेवन करें। अनहेल्दी फूड या जंक फूड अवायड करें।
- यानी दिन में कम-से-कम 3 बार शूगर रहित लिक्विड का सेवन करें।
- यानी अपने स्क्रीन टाइम को 2 घंटे से भी कम रखें।
- यानी रोजाना घर पर ही अपने बच्चों के साथ एक घंटा क्वालिटी टाइम बिताएं।
- यानी हाइव फैट, सॉल्टेड फूड, सिगरेट-अल्कोहल जैसी अनहेल्दी खान-पान का आदतों को जीरो लेवल पर ले आएं।
- बहुत ज्यादा सोने से ब्लड क्लॉटिंग का डर रहता है। इससे बचने के लिए मरीज को अपनी क्षमतानुसार कार्य शुरू कर देने चाहिए। बेड पर लेटे-लेटे हाथ-पैर हिलाएं, उठ कर कमरे में टहलें, हल्का-फुल्का व्यायाम करें, घर के छोटे-मोटे काम करें, ऑफिस के कार्य कर सकते हैं, अपनी हॉबीज के हिसाब से मनपसंद कार्य करें।
- रेगुलर सेल्फ मॉनिटरिंग करें। आराम करते वक्त व 6 मिनट वाक टेस्ट के बाद पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल जांचें। ऑक्सीमीटर न हो और अगर मरीज की जीभ नीली पड़ती नजर आये, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- ऑक्सीजन लेवल अगर कम हो तो प्रोनिंग पोजिशन में लेटें। लंग्स की मजबूती के लिए दिन में 4 से 5 बार स्पाइरोमीटर लंग्स एक्सरसाइज करें, डीप ब्रीदिंग और ब्रेथ होल्डिंग एक्सरसाइज करें, ताकि ऑक्सीजन निर्भरता कम हो और रिकवरी जल्दी हो।
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम 10 से 15 मिनट करें। ओम का उच्चारण कर लंबी सांस लें और कुछ सेकंड तक रोके रहें। धीरे-धीरे सांस रोकने का समय बढ़ाएं।
- पोस्ट कोविड साइकोसिस, ब्रेन फॉग दूर करने के लिए अपनी सोच पॉजिटिव रखें। कोरोना काल टेंपररी है, जल्द खत्म हो जायेगा. इससे आत्मबल बढ़ेगा और समय बीतने के साथ ठीक होकर आप अपनी नॉर्मल लाइफ जी सकेंगे।
- कोराना से जल्दी रिकवर होने के लिए परिवार के सदस्यों का भावनात्मक और व्यावहारिक सपोर्ट मिलना जरूरी है। यह तभी संभव है, जब मरीज अपने फैमिली मेंबर्स के साथ मिक्स हो, एक-दूसरे के साथ क्वालिटी समय बिताएं, ढाढ़स बंधाएं और आपसी संबंध मजबूत करें। खुद को व्यस्त रखें और कोरोना की बातें छोड़ अच्छे भविष्य के काम करें।
- पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस को दूर करने के लिए शरीर को रिलेक्स करना जरूरी है, जिसे मेडिटेशन करके रिलेक्स हो सकते हैं। संभव हो तो कोविड से रिकवर हुए लोगों के साथ संपर्क व बात करें।
- ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर को कंसल्ट करके ईसीजी करा सकते हैं और एंटी-एंग्जाइटी या खून पतला करने के लिए ब्लड थिनर बीटा ब्लॉकर दवाइयां ले सकते हैं, जिससे दिल की धडकन साथ ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल होता है।
- रेगुलर ब्लड शूगर लेवल चेक करना चाहिए, जिसे कंट्रोल में रखने के लिऐ समुचित दवाइयां भी लेनी चाहिए। मसल पैन या बुखार के लिए पैरासिटामोल ली जा सकती है।
- रात को 8 घंटे की गहरी नींद जरूरी है। इसके के लिए जरुरी हो तो दिन में बिल्कुल न सोएं।
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