स्वास्थ्य और इम्युनिटी को बढा़ते हैं आयुर्वेदिक आहार
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Ayurvedic Diet |
आयुर्वेद में भोजन को स्वास्थ्य का प्रमुख तत्व माना जाता है। अच्छा आयुर्वेदिक आहार उसे माना गया है, जो व्यक्ति के शरीर की प्रकृति पर आधारित हो। ऐसा भोजन न केवल पोषण देता है, बल्कि बीमारियों से भी दूर रखता है। आयुर्वेदिक आहार में ताजे फल, सब्जियां, सूखे मेवे और तरल पदार्थ को शामिल करना चाहिए। इसमें व्यक्ति के दोषों के अनुसार, कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है, यह शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाये रखता है।
आयुर्वेदिक आहार के सिद्धांत
आयुर्वेद के वर्गीकरण के अनुसार, शरीर का मेटाबॉलिज्म तीन दोषों द्वारा
नियंत्रित होता है। इन दोषों को वात, पित्त और कफ कहा जाता है। कोई भी दोष, पांच तत्वों में से किन्हीं दो तत्वों से
मिल कर बना हो सकता है। आहार के जरिये ही इन दोषों का उचित स्तर बनाये रखने की
आवश्यकता होती है।
भोजन में छह प्रकार के रस हों शामिल
आयुर्वेदिक आहार के भोजन में छह रस या फ्लेवर अवश्य शामिल
होना चाहिए। जैसे, मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), आमला (खट्टा), तीखा, कटु (कड़वा) और तीता. हर स्वाद का अलग-अलग दोषों पर
अलग-अलग प्रभाव होता है। वात प्रकृति के लोगों को मीठा, खट्टा और नमकीन का सेवन करना चाहिए। कफ
प्रकृति के लोगों को कड़वा, तीखा और तीते भोजन का सेवन करना चाहिए। पित्त प्रकृति के
लोगों को मीठा, तीखा और तीता भोजन करना चाहिए, लेकिन इसे कोई सामान्य फॉर्मूला की तरह नहीं मान सकते हैं।
सात्विक आहार को अपनाएं
सात्विक आहार - यह सभी आहारों में सबसे शुद्ध होता है। शरीर
को पोषण देने में सहायता करता है। सात्विक भोजन आसानी से पच जाता है। यह शरीर की रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर शरीर को मजबूत बनाता है। इसमें वे खाद्य पदार्थ शामिल होते
हैं, जो ताजा और
लगभग अपने प्राकृतिक रूप में होते हैं। सात्विक भोजन में साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियां, फलों का शुद्ध जूस, गाय का दूध, घी, फलियां, मेवे, अंकुरित अनाज, शहद ओर हर्बल टी शामिल हैं।
राजसिक आहार
- इस प्रकार के आहार में पशुओं से प्रोटीन व अन्य जरूरी तत्व प्राप्त होते हैं।
इसमें मसालों का प्रयोग अधिक किया जाता है राजसिक भोजन ताजा होता है, लेकिन पचने में कठिन होता है। जो लोग
अत्यधिक शारीरिक श्रम करते हैं, उन्हें इस प्रकार का भोजन करना चाहिए।
तामसिक आहार - इसमें फर्मेटेड और रिफाइंड भोजन शामिल होते
हैं जो डीप फ्राय और मसालेदार होता है। अधिकतर तामसिक आहार मेदे के बने होते हैं और
इनमें नमक की मात्रा भी अधिक होती है। इस आहार का सेवन करने वालों में आलस बढ़ता
है और उन्हें रोग आसानी से अपना शिकार बनाता है।
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